ज़ेब ग़ौरी

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दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो

ज़ेब ग़ौरी

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जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना ख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह

ज़ेब ग़ौरी

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मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना सारी कैफ़िय्यत है गुज़रते मौसम सी

ज़ेब ग़ौरी

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छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा देर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं

ज़ेब ग़ौरी

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मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ दिल के लहू से लेकिन तिरी तस्वीर ख़याली ही रहेगी ये कम है क्या कि मिरे पास बैठा रहता है वो जब तलक मिरे दिल को दुखा नहीं जाता

ज़ेब ग़ौरी

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बे-हिसी पर मिरी वो ख़ुश था कि पत्थर ही तो है मैं भी चुप था कि चलो सीने में ख़ंजर ही तो है

ज़ेब ग़ौरी

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मुझ से बिछड़ कर होगा समुंदर भी बेचैन रात ढले तो करता होगा शोर बहुत

ज़ेब ग़ौरी

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टूटती रहती है कच्चे धागे सी नींद आँखों को ठंडक ख़्वाबों को गिरानी दे

ज़ेब ग़ौरी

Read More Jaleel 'Aali' Sher