मैं खुद भी एहतियातन इस गली से कम गुजरता हूं कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए

बशीर बद्र

हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते हम

अमीर क़ज़लबाश

हज़ार ज़ेर-ए-क़दम रास्ता हो ख़ारों का जो चल पड़े तो इरादा नहीं बदलते हैं हम

अमीर क़ज़लबाश

कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं क्या ख़बर थी इस अंजाम की कुछ नहीं कुछ नहीं

अब्दुल हमीद

आज जितने बरादर मिले चाक-चादर मिले कैसी फैली है दीवानगी कुछ नहीं कुछ नहीं

अब्दुल हमीद

शहर के कुछ बुत ख़फ़ा हैं इस लिये चाहते हैं हम उन्हें सजदा करें

अनवर जलालपुरी

चन्द बगुले खा रहे हैं मछलियाँ झील के बेचारे मालिक क्या करें

अनवर जलालपुरी

तोहमतें आऐंगी नादिरशाह पर आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करें

अनवर जलालपुरी

तजरूबा एटम का हम ने कर लिया अहलें दुनिया अब हमें देखा करें

अनवर जलालपुरी

अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कतील शिफायी

कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

कतील शिफायी

थक गया मैं करते-करते याद तुझको अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

कतील शिफायी

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ

कतील शिफायी

आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ

कतील शिफायी

दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

कैफ भोपाली

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फलाने से फलाने से फलाने से मिले

कैफ भोपाली

ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

कैफ भोपाली

इश्क़ में लाजवाब हैं हम लोग माहताब आफ़ताब हैं हम लोग शाम से आ गये जो पीने पर सुबह तक आफ़ताब हैं हम लोग

जिगर मुरादाबादी

न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है सुकू ही सुकू है खुशी ही खुशी है तेरा गम सलामत मुझे क्या कमी है

ख़ुमार बाराबंकवी

तुम न आए तो क्या सहर न हुई हाँ मगर चैन से बसर न हुई मेरा नाला सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

गालिब

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