Sardi Sher
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
Sardi Sher
सर्दी में दिन सर्द मिला हर मौसम बेदर्द मिला
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Sardi Sher
मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर बड़ी तेज़ हवा है सर्दी आज ग़ज़ब की है
Sardi Sher
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
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Sardi Sher
वो आग बुझी तो हमें मौसम ने झिंझोड़ा वर्ना यही लगता था कि सर्दी नहीं आई
Sardi Sher
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ हम अपने शहर में होते तो घर गए होते
Sardi Sher
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
Sardi Sher
वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
Sardi Sher
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
Sardi Sher
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
Sardi Sher
दिन जल्दी जल्दी चलता हो तब देख बहारें जाड़े की
और पाला बर्फ़ पिघलता हो तब देख बहारें जाड़े की
Sardi Sher
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
Sardi Sher
लफ़्फ़ाज़ियों का गर्म है बाज़ार किस क़दर दस्त-ए-अमल हमारा मगर सर्द सर्द है
Sardi Sher
कुछ नाच और रंग की धूमें हों ऐश में हम मतवाले हों प्याले पर प्याला चलता हो तब देख बहारें जाड़े की
Sardi Sher
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