Muneer Niyazi Ghazal
और हैं कितनी मंज़िलें बाक़ी जान कितनी है जिस्म में बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
ज़िंदा लोगों की बूद-ओ-बाश में हैं मुर्दा लोगों की आदतें बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
उस से मिलना वो ख़्वाब-ए-हस्ती में ख़्वाब मादूम हसरतें बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
बह गए रंग-ओ-नूर के चश्मे रह गईं उन की रंगतें बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
जिन के होने से हम भी हैं ऐ दिल शहर में हैं वो सूरतें बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
वो तो आ के 'मुनीर' जा भी चुका इक महक सी है बाग़ में बाक़ी
Muneer Niyazi Ghazal
हमेशा देर कर देता हूँ हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में
Muneer Niyazi Ghazal
मोहब्बत अब नहीं होगी सितारे जो दमकते हैं
Muneer Niyazi Ghazal
अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ मैं उस की आँखों को देखता रहता हूँ
Muneer Niyazi Ghazal
सपना आगे जाता कैसे छोटा सा इक गाँव था जिस में