तुम शायरी की बात करती हो, मैं तो बातें भी कमाल करता हूँ

ना जाने क्यों तुझे देखने के बाद भी, तुझे ही देखने की चाहत रहती है

मैं आईनों से मायूस लौट आया था, मगर किसी ने बताया बहोत हसीन हूँ मैं।

कहते थे तुझको लोग मसीहा मग़र  यहां, एक शख्स मर गया तुझे देखने के बाद।

तुमसे शिकायत भी है और प्यार भी है, तेरे आने की उम्मीद भी नही और इंतजार भी है

तलाश दिल की आज भी अधूरी है, सांसों से ज्यादा आज भी तू ज़रूरी है।

बावला सा रहता है मन तेरे इंतजार में, जाने कैसा नशा है कमबख्त इस प्यार में।

ना होकर भी तुम मौजूद हो मुझमें, क्या खूब तुम्हारा वजूद है मुझमें।

सुबह शाम तू मेरी इबादत सा लगे, जो कभी न छूटे वो आदत सा लगे।

एक ही बात जमाने की किताबों में नही, जो नशा है तेरी मुहब्बत में वो शराबों में नही।