कोई दीवाना कहता हैं, कोई पागल समझता हैं,मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता हैं
मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
मैं तो झोंका हूं हवाओं का उड़ा ले जाऊंगाजागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊंगा
जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँकिसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँमेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालोमैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है
जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है ,जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है ,
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