"कुछ लोग ज़माने में ऐसे भी होते है
महफ़िल में तो हँसते हैं तन्हाई में रोते है "
अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
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“अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा”
"इतने घने बादल के पीछे कितना तन्हा होगा चाँद"
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“दरवाज़े पर पहरा देने तन्हाई का भूत खड़ा है”
तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा,
दूर तुम से अब रह न सकूँगा,
अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,
ये दूरी अब सह न सकूँगा
यादों में आपके तन्हा बैठे हैं, आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं, आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं
“तन्हाई के लम्हात का एहसास हुआ है जब तारों भरी रात का एहसास हुआ है”
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"लज़्ज़त-ए-वस्ल से भी बढ़ के मज़ा आएगा अपनी तन्हाई से दिल अपना लगा कर देखो"
"लज़्ज़त-ए-वस्ल से भी बढ़ के मज़ा आएगा अपनी तन्हाई से दिल अपना लगा कर देखो"
"तन्हाइयाँ तुम्हारा पता पूछती रहीं शब-भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया"
"कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता"
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