Gulzar Shayari
लाज़मी है मेरा भी गुरुर करना मुझे उसने चाह था, जिसके चाहने वाले हज़ार थे
Gulzar Shayari
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है
Gulzar Shayari
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं, और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
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Gulzar Shayari
मत पूछ कितनी सी है अहमियत तेरी, मेरे बनारस से मन में है गंगा सी कीमत तेरी
Gulzar Shayari
शिकायत और दुआ में जब एक ही शख्श हो, समझ लो इश्क़ करने की अदा आ गई तुम्हे
Gulzar Shayari
तुम्हरे बाद हम जिसके भी होगे वो रिश्ता मोहब्बत का नही मज़बूरी का होगा
Gulzar Shayari
कोई जिस्म पर अटक गया ,कोई दिल पर अटक गया इश्क उसका ही मुकमल हुआ जो रूह तक पहुच गया
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Gulzar Shayari
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