शाम होते ही में मन में एक सवाल उठता है, आज दिन ढला है या उम्र मेरी
सो जाइये सब तकलीफों को सिरहाने रख कर… क्योंकि सुबह उठते ही इन्हें फिर से गले लगाना है
यहां हर शख्स, हर पल हादसा होने से डरता है…. खिलौना है जो मिट्टी का, फना होने से डरताहै
जरूरी नहीं मोहब्बत तुमको भी हो !! मगर मुझको तो तुमसे है और रहेगी
वक़्त भी हार जाते हैं कई बार ज़ज्बातों से, कितना भी लिखो, कुछ न कुछ बाकि रह जाता है
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचेनियों की वजह बस तुम हो
ऐसे ही नहीं बन जाते गैरों से गहरे रिश्ते, कुछ खालीपन अपनों ने ही दिया होगा
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