Gulzar ki dard bhari shayari in Hindi

इतने बुरे नहीं थे हम जितने इलज़ाम लगाये लोगो ने, कुछ किस्मत ख़राब थी कुछ आग लगाई लोगो ने

बीच आसमां में था बात करते- करते ही, चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया, देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ । तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ

मोहब्बत तो साहब दोनों तरफ थीं, बस किस्मत की लकीरों ने बाज़ी ही पलट दी

अपने साए से भी चौंक जाते हैं … उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा…

बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती

“वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है”

“कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं, और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता”

“मत पूछ कितनी सी है अहमियत तेरी, मेरे बनारस से मन में है गंगा सी कीमत तेरी”

“शिकायत और दुआ में जब एक ही शख्श हो, समझ लो इश्क़ करने की अदा आ गई तुम्हे”

“बहुत भरोसा था तुम पर ‘था ’ का मतलब पता है ना”

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