ना जियो धर्म के नाम पर, ना मरों धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियों वतन के नाम पर

ना जियो धर्म के नाम पर, ना मरों धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियों वतन के नाम पर

खुशनसीब है वो जो वतन पर मिट जाते है, मर कर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पर मिटने वालों तुम्हारी हर साँस में बसता तिरंगे का नसीब है

माँ तूझे सलाम तू मस्तक पर विराजे यही हैं मेरी शान हर जीवन तेरे आँचल में खिले यही अरमान होगा मेरा।

दे सलामी इस तिरंगे को, जिससे तेरी शान है, सर हमेशा ऊंचा रखना इसका, जब तक तुझ में जान है

आज जब तिरंगा देखा मैंने मेरे वतन की याद आने लगी आज जब राष्ट्रगान सुना मैंने मुझे वतन की खुशबू सताने लगी।

अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं, सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं! भारत माता की जय ।

कुछ नशा तिरंगे की आन है, कुछ नशा मातृभूमि की शान का है, हम लहराएँगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिंदुस्तान की शान का है.

फिर से खुद को जगाते हैं अनुशासन का डंडा फिर घुमाते हैं याद करें उन शूरवीरों की क़ुरबानी जिनके कारण हम गणतंत्र दिवस का आनंद उठाते हैं।

बहुत लंबा चला संघर्षों की डगर आखिर पा ही लिया आजादी की नगर आज अपना है गणतंत्र अपना है संविधान

ना जुबान से, ना निगाहों से, ना दिमाग से, ना रंगों से, ना ग्रीटिंग से, ना गिफ्ट से,