“वो समझे ही नहीं मेरे अल्फाज को, मैंने हर शिकायत के पीछे लिखा था ‘मोहब्बत हैं तुम से’"

 “मै हुस्न हूँ  मुझ पर गुरूर जचता है तुम इश्क़ हो जरा अदब से रहा करो”

“क्या इत्तेफाक था, तेरी गली में आने का किसी काम से आए थे, किसी काम के न रहे”

“चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं”

अब वो ज़रा सी बात पर दिल तोड़ देते है जब उनका मन करता है बात करना छोड़ देते है

मंजिल का नाराज होना भी जायज था हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे

सजदों में गुज़ार  दूँ अपनी सारी  जिंदगी एक बार वो कह दे के मुझे दुआओं  से माँग  लो

वो सुना रहे थे अपनी वफ़ाओ   किस्से हम पर नज़र पड़ी तो ख़ामोश हो गए

तुम मिल गए तो मुझ से नाराज है खुदा, कहता है कि तू अब कुछ माँगता नहीं है

ऐसे ही लव शायरी पढ़ने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये