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Gulzar Biography In Hindi : गुलज़ार का जीवन परिचय

Gulzar Biography In Hindi

Gulzar Biography In Hindi :- गुलज़ार साहब भारत के सबसे प्रशिद्ध कवी है , गुलज़ार साहब जी हिंदी, उर्दू, पंजाबी अदि में बहुत कविताये लिखी है , गुलज़ार साहब भारतीय कवी, गीतकार , पठकथा , लेखक , फिल्म निर्देशक और नाटकार भी रहे है। गुलज़ार साहब जी को भारतीय सिंनेमा की तरफ से कोई प्रशिद्ध अवार्ड मिल चुके है। गुलज़ार साहब से ने 2007 मेंउन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा और उन्हें इस गाने के लिए ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया।

गुलज़ार की जीवनी

सम्पूर्णान सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार का जन्म सन्न 18 अगस्त 1934 को पंजाब में झेलम ज़िले में हुआ था  जोकि अब पाकिस्तान में है । गुलज़ार हिंदी फिल्मो के के प्रसिद्ध गीतकार है।  इसके अलवा वे एक  प्रसिद्धकवि , पटकथा लेखक , निर्देशक और नाटककार भी है। आप के पिता की का नाम श्री माखन सिंह कालरा और माताजी  का  श्रीमती सुजान कौर था। जब गुलज़ार बहुत  छोटे तो इनके माताजी की मृत्यु हो गई थी।  जब देश का बटवारा हुआ तो इनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया।  उसके बाद गुलज़ार मुंबई चले आये।  उसके बाद उन्होंने एक गैरेज खोला और मकेनिक की तरह कम किया और वो अपने खली समय में कविताये लिखते थे। गैरेज का काम छोड़कर उन्होंने ने हिंदी सिनेमा के मशहूर बिमल राय , हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के साथ काम करने लगे। 
गुलज़ार जी जीवनी
गुलज़ार साहब की शादी एक तलाकशुदा  अभिनेत्री के साथ हुआ। गुलज़ार साहब की एक बेटी हुई और परिवार एक दुसरे से अलग हो गया।  गुलज़ार साहब ने अपनी पत्नी को कभी तलाक नही दिया।  उनकी बेटी का नाम मेघना गुलज़ार है जोकि अब एक फिल्म निर्देशक है।
गुलज़ार साहब की कार्यशेली
गुलज़ार साहब ने अपने जीवन की शुरुआत बिमल राय की फिल्म बन्दिनी में एक गीत लिखकर किया। गुलज़ार साहब ने आशीर्वाद, आनन्द, ख़ामोशी और अन्य जैसी फिल्मों के लिए संवाद और पटकथा लिखकर अपने जीवन की शुरुआत की। इसके अलवा उन्होंने छोटे पर्दें पर भी बहुत काम किया। गुलज़ार साहब हिंदी फिल्मो के प्रसिद्ध गीतकार है गुलज़ार साहब की ज्यदातर हिंदी , उर्दू , पंजाबी में है ,पर गुलज़ार साहब की पकड़ अन्य भाषाओ पर भी जैसे की ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी , उन्होंने इन भाषा में भी रचनाये लिखी। गुलजार साहब को सहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 2002 और वर्ष २००४ में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
उनकी प्रसिद्ध फ़िल्में और निर्देशक
मेरे अपने, परिचय, कोशिश, अचानक, खुशबू, आँधी, मौसम,किनारा, किताब, अंगूर, नमकीन, मीरा, इजाजत, लेकिन, लिबास, माचिस, हु तू तू। 
गुलजार द्वारा लिखी गई पुस्तकों की सूची-
  1. चौरस रात (लघु कथाएँ, 1962)
  2. जानम (कविता संग्रह, 1963)
  3. एक बूँद चाँद (कविताएँ, 1972)
  4. रावी पार (कथा संग्रह, 1997)
  5. रात, चाँद और मैं (2002)
  6. रात पश्मीने की
  7.  खराशें (2003)

संगीत का प्रेम:

गुलज़ार का संगीत में दिलचस्प रूचि था, और उन्होंने इसे अपना पेशेवर करियर बनाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने शब्दों के जादू से कई गानों को अमर बनाया, जैसे कि “तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी” (फ़िल्म: ‘मासूम’), “तेरे बिना जीना वांगा नहीं” (फ़िल्म: ‘आंधी’), और “जैसे कोई इल्ज़ाम नहीं” (फ़िल्म: ‘क़ुबूल’)।

लेखन में उच्चता:

गुलज़ार के लेखन में उनकी अद्वितीयता और गहराई दिखती है। उन्होंने अनेक प्रमुख उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित किए हैं, जैसे कि ‘धुप-छांव’, ‘रावण की रातें’, ‘आंधाधुंध’ आदि। उनकी कविताएँ भी उनके लेखन की महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उन्होंने विविध विषयों पर कई उत्कृष्ट कविताएँ रची हैं।

फ़िल्मों का सफर:

गुलज़ार ने फ़िल्म उद्यम में भी अपनी महत्वपूर्ण छाप छोड़ी। उन्होंने कई मानवीय और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फ़िल्मों का निर्देशन किया, जैसे कि ‘माचिस’, ‘माकर’, ‘आंधी’, ‘मासूम’, आदि। उन्होंने ‘माचिस’ के लिए बेस्ट डायरेक्टर की नामांकनीयता प्राप्त की थी।

सम्मान और पुरस्कार:

गुलज़ार को उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्हें अर्जुन पुरस्कार, पद्मभूषण, पद्मश्री, सहित अनेक प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

गुलज़ार साहब के गीत लेखन

ओमकारा, रेनकोट, पिंजर, दिल से, आँधी, दूसरी सीता, इजाजत

Gulzar Shayari In Hindi: Two Line Shayari

और एक लम्हा है जो मुझसे गुज़ारा नही जाता|”
“एक उम्र है जो बितानी है तेरे बग़ैर,

 

“पूछो हमसे शायरी क्या होती है,
हर लफ्ज़ में बर्बाद हुए है हम उसके लिए |” 


 
“बहुत अंदर तक जला देती है,
वो शिकायते जो बयाँ नही होती है |”
 

 
“मेरे लहज़े में बस ‘जी हजुर ‘ नही था,
इसके अलवा मेरा कोई कसूर नही था |”
 

 
“खरीदार बहुत थे इस दिल के
बेच देते अगर इसमें तुम ना होते ”
 

 
“बहुत मुशिकल से करता हु तेरी यादो का करोबार
मुनाफ़ा काम है पर गुज़ारा हो ही जाता है “
 

 
“वो दौर भी आया सफ़र में
जब मुझे अपनी पंसद से भी नफरत हुई ”
 

 
“एक उम्र गवा दी तेरी चाहत में हमने,
कितने खुशनसीब होंगे वो तुझे मुफ्त में पाने वाले”
 

 

“किस्सा बना दिया उन लोगो ने भी मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बतया करते थे “
 

 

“इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी,
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां”

 
“तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं”
 

 

“गुजर गया वो वक़्त, जब तेरी हसरत थी मुझे,
अब तू खुदा भी बन जाये तो भी,
तेरा सजदा न कर”
 
“शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है”
 

 
“खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है”
 

 

गुलज़ार:-  वो पुल की सातवीं सीढ़ी पे बैठा कहता रहता था

 “वो पुल की सातवीं सीढ़ी पे बैठा कहता रहता था
किसी थैले में भर के गर ख़याल अपने
मैं दरवाज़े पे हरकारे की सूरत जा के पहुँचाता
चमकती बूँदें बारिश की किसी की जेब में भर के
गले में बादलों का एक मफ़लर डाल कर आता
वो भीगा भीगा सा रहता
किसी के कान में दो बालियों से चाँद पहनाता
मछेरों की कोई लड़की अगर मिलती
गरजते बादलों को बाँध कर बालों के जोड़े में
धनक की बीनी दे आता
मुझे गर कहकशाँ को बाँटने का हक़ दिया होता ख़ुदा ने तो
कोई फ़ुटपाथ से बोला
ऐ औलाद शाइ’र की
बहुत खाई हैं रूखी रोटियाँ मैं ने
जो ला सकता है तो इक बार कुछ सालन ही ला कर दे”
 

गुलज़ार की जीवनी एक उत्कृष्ट कलाकार की सफलता की अद्वितीय कहानी है, जिसने शब्दों की जादूगरी से लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनकी साहित्यिक, संगीत और फ़िल्मी यात्रा ने उन्हें एक महान कलाकार के रूप में स्थापित किया है, जिसकी महत्वपूर्ण यादगारी हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

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